समाजवादी पाटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को भाजपा पर जमकर निशाना साधा। कहा कि भाजपा में जो जितना बड़ा नेता, वह उतना बड़ा झूठ बोलता है। काका यानी काले कानून वापस हो गए तो बाबा मुख्यमंत्री की भी विदाई तय है। पांच चरणों के चुनाव का रुझान देखकर भाजपा के नेता ठंडे पड़ गए हैं।
राजकीय पालीटेक्निक के मैदान में उमड़ी भीड़ को देखकर उत्साहित अखिलेश यादव ने कहा कि छठें चरण के चुनाव में बूथ पर भाजपा के भूत नजर आएंगे। योगी के चेहरे पर बारह बज रहे हैं। यह वह लोग हैं कि जो कहते थे कि सरकार बनेगी तो आय दोगुनी कर देंगे। क्या किसी की आय दोगुनी हुई। क्या फसल की कीमत मिली। धान खरीद में लूट हो गई। पेट्रोल सौ से पार है। यह वही लोग हैं जो कहते थे कि गरीब हवाई जहाज से चलेगा। लेकिन, सरकार में आए तो हवाई अड्ढे, बंदरगाह और रेलगाड़ी बेच दी।
जनसभा में पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी, सदर से प्रत्याशी महेंद्र नाथ यादव, हर्रैया से त्रयंबक नाथ पाठक, रुधौली से राजेंद्र चौधरी, कप्तानगंज से अतुल चौधरी व महादेवा से सपा-सुभासपा गठबंधन प्रत्याशी दूधराम व अन्य मौजूद रहे।
गोशाला में करोड़ों आया फिर भी गायें भूखी
परिवारवादी बताए जाने पर अखिलेश ने कहा कि हम परिवार वाले लोग सलाह देते हैं, कम से कम अपने गुल्लू के लिए बिस्कुट लेते जाना। मुख्यमंत्री का प्रिय जानवर है गुल्लू। सांड नहीं। छुट्टा जानवरों से खेती बरबाद हो रही है। गौशाला हजारों करोड़ आया, वहां गाय भूखी है।
सरकार नहीं बननी इसलिए मार्च से बंद कर रहे राशन
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को लग गया है कि मार्च में उनकी विदाई होने वाली है, इसलिए उन्होंने मार्च में राशन देना बंद कर रही है। पूरे पांच साल गरीबों को राशन देंगे। गरीबों को एक लीटर सरसो का तेल, दूध और घी भी देंगे। महंगाई के कारण हर महीने चीनी भी देंगे। हमारी सरकार आई तो 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे। किसानों का बकाया माफ होगा। समाजवादी सरकार ने बिजली के कारखाने लगाए थे। टांडा में इसी 660 मेगावाट की बिजली दे दें तो सबको बिजली मुफ्त मिलने लगेगी। कहा कि हर महीने गरीब महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन देंगे। पुरानी पेंशन बहाल करेंगे।
किसान माफ करने वाला नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा किसानों की जमीन छीनने के लिए कानून लाया। एक साल से ज्यादा आंदोलन चलाया। किसान डटा रहा। भाजपा ने कानून वापस लिया। क्योंकि उन्हें लग गया था कि पंजाब और यूपी का किसान उनके खिलाफ हैं। वोट नहीं देंगे। वोट के लिए कानून वापस लिया। अब जनता से माफी मांग रहे हैं। एक तो कान पकड़कर उठक बैठक कर रहा है। एक प्रत्याशी तो लोगों की तेल मालिश कर वोट मांग रहा है। अब किसान माफ करने वाला नहीं है।
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